कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अपराध नियंत्रण: समाज में सुरक्षा बनाम स्वतंत्रता की बहस
Author:डॉ.अंजलि अग्रवाल
DOI: https://doi.org/10.64880/theresearchdialogue.v4i3.12
सारांश
कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अपराध नियंत्रण में उपयोग सुरक्षा को बढ़ा रहा है, लेकिन इसके साथ निजता का हनन, डेटा की जटिलता और निगरानी के उपायों पर गंभीर सवाल उठते हैं। इन तकनीकों का उचित मूल्यांकन आवश्यक है ताकि सुरक्षा के साथ-साथ मानवीय स्वतंत्रता और निजता भी सुरक्षित रहें। सार्वजनिक सुरक्षा के उद्देश्य से तकनीकों में सुधार की आवश्यकता है, और निगरानी प्रक्रिया को पारदर्शिता और जवाबदेही के मानकों पर खरा उतरना चाहिए। अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण से स्वतंत्रता घट सकती है, इसलिए निजता के सिद्धांतों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। नैतिक, विधिक और सामाजिक मानकों का ध्यान रखते हुए, तकनीकी उपयोग संतुलित दृष्टिकोण से किया जाना चाहिए, जिसमें नैतिक ढांचे, पूर्वाग्रह के कम करने, और जवाबदेही सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दृष्टिकोण भिन्न हैं; विकसित समाज नैतिक मानकों का पालन करते हैं, जबकि विकासशील समाजों में कार्यान्वयन जटिलताओं पर निर्भर करता है। भविष्य में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उन्नत तकनीकों के माध्यम से इन्हें और प्रभावी बनाने के प्रयास होंगे। नई खोजें संभावित चुनौतियों का समाधान करेंगी और सुरक्षा तथा स्वतंत्रता में संतुलन स्थापित करने में मदद करेंगी। इस क्षेत्र में सतत शोध कार्य अत्यंत आवश्यक है ताकि मानवाधिकारों का उल्लंघन न हो और समाज का विकास सुनिश्चित किया जा सके।
मुख्य शब्द: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, सुरक्षा, मानवाधिकार, अपराध नियंत्रण, स्वतंत्रता ।
Cite this Article:
डॉ.अंजलि अग्रवाल, “कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अपराध नियंत्रण: समाज में सुरक्षा बनाम स्वतंत्रता की बहस” The Research Dialogue, Open Access Peer-reviewed & Refereed Journal, pp.102–109. https://doi.org/10.64880/theresearchdialogue.v4i3.12
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