डिजिटल युग में महिला गोपनीयता का संकट: डेटा सुरक्षा, स्वतंत्रता और सामाजिक दृष्टिकोण
Author:डॉ श्वेता द्विवेदी
DOI: https://doi.org/10.64880/theresearchdialogue.v4i3.11
सारांश:
डिजिटल परिवर्तन ने संचार, शिक्षा, रोजगार और सामाजिक जुड़ाव के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएँ विकसित की हैं, लेकिन इसके साथ महिलाओं की डिजिटल गोपनीयता पर नए खतरे भी पैदा हुए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, डिजिटल पहचान प्रणालियाँ, ऑनलाइन वित्तीय सेवाएँ और निगरानी तकनीकें जहाँ महिलाओं को आत्मनिर्भरता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देती हैं, वहीं साइबर स्टॉकिंग, डेटा चोरी, ऑनलाइन उत्पीड़न, डीपफेक और डिजिटल ट्रैकिंग जैसी समस्याएँ उनके लिए गंभीर जोखिम भी उत्पन्न करती हैं। शोध डिजिटल वातावरण में महिलाओं की निजता को प्रभावित करने वाले तकनीकी, कानूनी और सामाजिक आयामों का विश्लेषण करता है। अध्ययन से स्पष्ट होता है कि वर्तमान कानूनी ढाँचा मौजूद होने के बावजूद क्रियान्वयन की चुनौतियाँ, शिकायत प्रणाली की जटिलता और सामाजिक दृष्टिकोण की सीमाएँ महिलाओं को न्याय और सुरक्षा से दूर रखती हैं। डिजिटल सुरक्षा केवल तकनीकी आवश्यकता नहीं, बल्कि सामाजिक, नैतिक और लैंगिक न्याय का विषय भी है। इसलिए डिजिटल अधिकार, सशक्त कानूनी संरक्षण, साइबर साक्षरता और संवेदनशील व्यवहार परिवर्तन आवश्यक है, ताकि डिजिटल स्पेस महिलाओं के लिए सुरक्षित, समान और समावेशी बन सके।
मुख्य शब्द: डिजिटल गोपनीयता, महिला सशक्तिकरण, साइबर सुरक्षा, डेटा संरक्षण, ऑनलाइन उत्पीड़न।
Cite this Article:
डॉ श्वेता द्विवेदी, “डिजिटल युग में महिला गोपनीयता का संकट: डेटा सुरक्षा, स्वतंत्रता और सामाजिक दृष्टिकोण” The Research Dialogue, Open Access Peer-reviewed & Refereed Journal, pp.92–101. https://doi.org/10.64880/theresearchdialogue.v4i3.11
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