शिक्षा के भारतीयकरण में स्वामी दयानंद सरस्वती का योगदान
Vol. 04, Issue 03, pp. 33–39 | Published: 10 October 2025
Author(s):डाॅ० अखिलेश प्रताप सिंह, प्रो० छत्रसाल सिंह
DOI: https://doi.org/10.64880/theresearchdialogue.v4i3.04
सारांश
प्रस्तुत शोध पत्र महर्षि दयानंद सरस्वती के शिक्षा संबंधी विचारों और उनके भारतीय शिक्षा के पुर्नजागरण में योगदान पर आधारित है। 19वीं शताब्दी में जब भारतीय समाज में अंग्रेजी शिक्षा नीति के अन्धानुकरण की परम्परा प्रारम्भ हुई जो भारतीय समाज को उसकी सांस्कृतिक जड़ों से काट रही थी, तब स्वामी दयानंद ने वेदों को समस्त ज्ञान का मूल स्रोत मानते हुए मातृभाषा आधारित, स्वदेशी और चरित्रनिष्ठ वैदिक शिक्षा का पक्ष रखा। उन्होंने शिक्षा को तर्क और विज्ञान से जोड़ते हुए प्रचलित अंधविश्वासों का विरोध किया तथा स्त्री-शिक्षा और गुरुकुल प्रणाली के पुनप्रतिष्ठा की दिशा में कार्य किया। उनके भगीरथी प्रयासों से डी०ए०वी० शिक्षण संस्थान और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय जैसी संस्थाएँ अस्तित्व में आईं, जिन्होंने आधुनिक विषयों और वैदिक आदर्शों का समन्वय प्रस्तुत किया। इस प्रकार स्वामी दयानंद सरस्वती ने शैक्षिक दृष्टि से भारतीय शिक्षा को आत्मनिर्भर, राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
मुख्य शव्द – स्वामी दयानंद सरस्वती, शिक्षा का भारतीयकरण, वेद-आधारित शिक्षा, मातृभाषा और स्वदेशी शिक्षा, गुरुकुल प्रणाली, स्त्री-शिक्षा, आर्य समाज, तर्क और विज्ञान-आधारित शिक्षा, राष्ट्रीय चेतना।
प्रस्तुत शोध पत्र महर्षि दयानंद सरस्वती के शिक्षा संबंधी विचारों और उनके भारतीय शिक्षा के पुर्नजागरण में योगदान पर आधारित है। 19वीं शताब्दी में जब भारतीय समाज में अंग्रेजी शिक्षा नीति के अन्धानुकरण की परम्परा प्रारम्भ हुई जो भारतीय समाज को उसकी सांस्कृतिक जड़ों से काट रही थी, तब स्वामी दयानंद ने वेदों को समस्त ज्ञान का मूल स्रोत मानते हुए मातृभाषा आधारित, स्वदेशी और चरित्रनिष्ठ वैदिक शिक्षा का पक्ष रखा। उन्होंने शिक्षा को तर्क और विज्ञान से जोड़ते हुए प्रचलित अंधविश्वासों का विरोध किया तथा स्त्री-शिक्षा और गुरुकुल प्रणाली के पुनप्रतिष्ठा की दिशा में कार्य किया। उनके भगीरथी प्रयासों से डी०ए०वी० शिक्षण संस्थान और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय जैसी संस्थाएँ अस्तित्व में आईं, जिन्होंने आधुनिक विषयों और वैदिक आदर्शों का समन्वय प्रस्तुत किया। इस प्रकार स्वामी दयानंद सरस्वती ने शैक्षिक दृष्टि से भारतीय शिक्षा को आत्मनिर्भर, राष्ट्रवादी और सांस्कृतिक रूप से सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त किया।
मुख्य शव्द – स्वामी दयानंद सरस्वती, शिक्षा का भारतीयकरण, वेद-आधारित शिक्षा, मातृभाषा और स्वदेशी शिक्षा, गुरुकुल प्रणाली, स्त्री-शिक्षा, आर्य समाज, तर्क और विज्ञान-आधारित शिक्षा, राष्ट्रीय चेतना।
Cite this Article:
डाॅ० अखिलेश प्रताप सिंह, प्रो० छत्रसाल सिंह ”शिक्षा के भारतीयकरण में स्वामी दयानंद सरस्वती का योगदान,The Research Dialogue, Open Access Peer-reviewed & Refereed Journal, pp.33 – 39. DOI: https://doi.org/10.64880/theresearchdialogue.v4i3.04
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