The Research Dailogue

भारत में संस्थागत कृषि साख की व्यवस्था

Vol. 04, Issue 03, pp. 09–15 |  Published: 10 October 2025

Author:आलोक प्रताप सिंह 

सारांश
साख एक महत्वपूर्ण कृषि आगत है जो कृषि साख के उद्देश्य और समय के आधार पर अलग-अलग प्रकार का हो सकता है। भारत में कृषि साख की आवश्यकता की पूर्ति संस्थागत और गैर संस्थागत दोनों स्रोतों से की जाती रही है। संस्थागत स्रोतों के अंतर्गत सहकारी बैंक, व्यापारिक बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक आते हैं। 1990 तक कृषि साख की आपूर्ति इन्ही तीन संस्थाओं के माध्यम से होने के बाद भी ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा गैर संस्थागत स्रोतों पर निर्भर रहा है। 1991 में भारत में आर्थिक सुधारों के कार्यक्रम लागू किए जाने के कारण कृषि क्षेत्र हाशिए पर चला गया। फिर भी इस दौर में नाबार्ड द्वारा 1992 में स्वयं सहायता समूह बैंक लिंकेज कार्यक्रम, 1995-96 में ग्रामीण आधारिक संरचना कोष (RIDF) तथा 1998-99 में किसान क्रेडिट कार्ड को शुरु किया गया। 2005 के बाद से कृषि क्षेत्र को पुनः मुख्य भूमिका में रखा जाने लगा। कृषि साख हेतु पहले से विद्यमान संस्थाओं में आवश्यकतानुरूप समयानुसार परिवर्तन किए गए तथा कुछ नई संस्थाओं की स्थापना की गई।
बीजशब्द- प्राथमिकता वाले क्षेत्र को उधार (PSL), लीड बैंक स्कीम, सूक्ष्म वित्त, किसान क्रेडिट कार्ड (KCC), ग्राउंड लेवल क्रेडिट (GLC)।

Cite this Article:

सिंह,आलोक प्रताप, (2025).भारत में संस्थागत कृषि साख की व्यवस्था.The Research Dialogue, Open Access Peer-reviewed & Refereed Journal, , pp.09 – 015.   DOI: https://doi.org/10.64880/theresearchdialogue.v4i3.02

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