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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संवर्धित सांस्कृतिक अनुक्रियाशील शिक्षण (Culturally Responsive Teaching) का भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) में प्रपांतरण

Vol. 04, Issue 03, pp. 16–32 |  Published: 10 October 2025

Author:डॉ. नेहा रावत, डॉ. मृत्युंजय मिश्रा

सारांश

       प्रत्येक राष्ट्र की भाषा और संस्कृति उसकी विशिष्ट पहचान का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। जहां एक ओर किसी देश की ‘संस्कृति’ वहां के लोगों की विचारधारा और मान्यताओं का निर्माण करती है, वहीं दूसरी ओर उसकी ‘भाषाएं’ विचारधाराओं के विस्तार और प्रचार का कार्य करती हैं। भारत भी एक ऐसा ही समृद्ध और विविध सांस्कृतिक प्रथाओं और मान्यताओं वाला निरंतर प्रगतिशील देश है। यह विश्व के देशों में एक ऐसा अग्रणी राष्ट्र है जो अपने सार्वभौमिक भाईचारे और बहु-सांस्कृतिक स्वीकृति के दर्शन के साथ ‘‘वसुधैव कुटुंबकम‘‘ का सदैव ही पक्षपोषण करता रहा है। भारत की यह विशिष्ट संस्कृति, ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली’ के रूप में जानी जाती है, जिसमें व्यापक, अनुकूलनशील और समावेशी तत्व समाहित हैं। इसके अंतर्गत, भारत के विभिन्न हिस्सों की प्राचीन और आधुनिक भारतीय संस्कृतियों, भाषाओं, मान्यताओं और प्रथाओं के ज्ञान को संरक्षित व पोषित किया जाता है। इसलिए, हमारी पहचान को गहनता से समझने और पूरी दुनिया की संस्कृतियों को सहजता से अपनाने के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) का अध्ययन करना आवश्यक है। इस सन्दर्भ में, सांस्कृतिक अनुक्रियाशील शिक्षण (Culturally Responsive Teaching)  का प्रत्यय एक अत्यंत आशाजनक अवसर प्रदान करता है। सांस्कृतिक अनुक्रियाशील शिक्षण (CRT) के अंतर्गत शिक्षक विद्यार्थियों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, भाषाओं और अनुभवों को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों को अनुकूलित करते हैं। इसका उद्देश्य सभी विद्यार्थियों को उनके सांस्कृतिक संदर्भ में प्रभावी रूप से सीखने के अवसर प्रदान करना होता है, ताकि वे अपनी संस्कृति के साथ योजित महसूस करें और शिक्षा में पूरी तरह से भाग ले सकें। इस प्रकार, यह सीखने की प्रक्रिया को समावेशी और सार्थक बनाता है। सांस्कृतिक अनुक्रियाशील शिक्षण (CRT) में तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ;।प्द्ध की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है। भविष्य में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य सम्बंधित तकनीकें शिक्षकों और छात्रों दोनों को विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने में मदद करेंगी (चोपड़ा, 2023)। अतः यह कहना गलत नहीं होगा की, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence संवर्धित सांस्कृतिक अनुक्रियाशील शिक्षण (Culturally Responsive Teaching), शिक्षण-अधिगम को समग्र रूप से व्यक्तिगत, समावेशी और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील बनाने में सहायक रहेगा। आइए, इसी सन्दर्भ में सर्वप्रथम सांस्कृतिक अनुक्रियाशील शिक्षण (Culturally Responsive Teaching) के प्रत्यय को पूर्णतः समझते हैं।

बीज शब्द – कृत्रिम बुद्धिमत्ता, संवर्धित सांस्कृतिक अनुक्रियाशील शिक्षण, भारतीय ज्ञान प्रणाली ।

Cite this Article:

रावत, डॉ. नेहा, मिश्रा,डॉ. मृत्युंजय. (2025).कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संवर्धित सांस्कृतिक अनुक्रियाशील शिक्षण (Culturally Responsive Teaching) का भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) में प्रपांतरण.The Research Dialogue, Open Access Peer-reviewed & Refereed Journal, , pp.16 – 32.   DOI: https://doi.org/10.64880/theresearchdialogue.v4i3.03

 

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